करोना वायरस पर दमदार कविता


जनवरी बीता खुशियों में,
फरबरी में खुमारी छाई।

मार्च बीता डर-डर कर,
अप्रैल में लॉक डाउन की बारी आई।

कोरोना ने देश में तबाही मचाई,
घर में रहने से लोगों में उम्मीद जगाई।

मई में कोरोना ने गति बढ़ाई,
फिर अम्फान तूफ़ान ने तबाही मचाई।

जून में अनलॉक वन आया,
साथ में निसर्ग तूफ़ान लाया।

जुलाई में शायद मिले कुछ आज़ादी,
अन्न की न करना अब बर्बादी।

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अगस्त में भाई बहन होंगे साथ,
होंगे बहन भाई के हाथों में हाथ।

सितम्बर तक भाग जाए कोरोना शैतान,
फिर शायद ज़िन्दगी हो जाए कुछ आसान।

अक्टूबर करेंगे कोरोना वारियर्स को समर्पित,
देश के सभी योद्धाओं को अर्पित।

नवम्बर में हम सब फिर होंगे साथ,
मिलकर दीपक जलाएंगे दिवाली की रात।

दिसम्बर में करेंगे ईश्वर से प्राथना,
आए न कोई भी वर्ष फिर ऐसा अपना।

(मान सिंह कश्यप रामपुर उ०प्र०)

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