शहीद जवान(विदाई)



कौन कहता है कि,
बेटे विदा नहीं होते।
जब होते हैं विदा,
तब सभी हैं रोते।
बेटियाँ तो विदा होकर,
पा लेती हैं दूसरा परिवार।
बेटे जब विदा होते हैं,
तो छोड़ जाते है संसार।
कौन कहता है कि,
बेटे विदा नहीं होते।
बेटियों का दो घरों पर,
हो जाता है अधिकार।
बेटे सरहद पर रात भर,
घर आने का करते हैं विचार।
माना कि बेटियों के आने से,
घर जाता है चहक।
वर्षों बाद बेटों के आने पर भी,
गली,गांव,आँगन जाता है महक।
कौन कहता है कि,
बेटे विदा नही होते।
बेटियों की विदाई से,
खुश होता है परिवार।
बेटों की विदाई में,
टूट जाता है परिवार।
बेटियों को पीहर में,
मिलता है स्नेह और प्यार।
बेटों को सरहद पर,
मिलते हैं हथियार।
कौन कहता है कि,
बेटे विदा नहीं होते।
बेटियों ने अगर घर को,
खुशियों से सजाया।
बेटों ने भी देश की रक्षा में ,
अपनी जान को है गवाया।
बेटियाँ तो त्यौहार को,
परिवार संग है मनाती।
बेटों की तो रातों की,
नींद है उड़ जाती।
कौन कहता है कि,
बेटे विदा नहीं होते।
कभी-कभी बेटे भी,
ऐसे है विदा होते।
घर वालों चेहरा भी,
नही हैं दिखा पाते।
कुछ सोते हुए,
सोते ही हैं रह जाते।
कुछ दुश्मन की गोली का,
निशाना हैं बन जाते।
कौन कहता है कि,
बेटे विदा नही होते।
कुछ सरहदों पर,
शहीद हो जाते हैं।
कुछ कर्तव्य की खातिर,
अपना शीश चढ़ाते हैं।
बेटे जब भी जाते हैं,
फिर बापस नहीं आते हैं।
याद कर पिछली बातों को,
साथी के नयन भीग हैं जाते हैं।
कौन कहता है कि,
बेटे विदा नहीं होते।
बेटे तो अपने,
बेटे होने का फर्ज निभाते हैं।
बे-बजह किसी को,
बेटे नही सताते हैं।
सूना कर फ़लक,
इस जहाँ से जाते हैं।
बेटे भी तो "मान",
विदा हो जाते हैं। 2

(मान सिंह कश्यप रामपुर उ०प्र०)

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