. मेरी माँ



मेरी माँ

मेरी नीदों के ख्याबों में,
तुम छुपी हो माँ।
मेरे लबों की हंसी में,
तुम छुपी हो माँ।
मेरे दिल की धड़कन में,
तुम बसी हो माँ।
मेरे ख्याबों का छोटा सा,
संसार हो तुम माँ।
मेरे जीवन का सम्पूर्ण ,
आधार हो तुम माँ।
इस सृष्टि का ,
संसार हो तुम माँ।
इस सुन्दर दुनिया को,
तुमने मुझे दिखाया माँ।
दुआओं के साथ तुम्हारी,
मैं आगे बढ़ पाया माँ।
दिन तुम्हारा आज भी,
रसोई में बीतता है माँ।
खाना तुम्हारे हाथ का,
आज भी याद आता है माँ।
थक हार जब भी घर आता था,
आँचल तुम्हारा ही पाता था माँ।
अब तो बस याद ही आती है,
तुम्हारी याद बहुत रुलाती है माँ।
कल ड्यूटी से देर से आया था,
खाना नही खाया था माँ।
याद तुम्हारी तब आयी,
रातों को मेरे लिए खाना बनाया था माँ।
तुम हिंदी जैसी सरल,
स्वभाव थी माँ।
चटनी रोटी भी तुम्हारे हाथ की,
बहुत मुझे भाती थी माँ।
कभी-कभी अब बिना खाए,
 सो जाता हूं माँ।
याद तुम्हे करके ,
कितनी बार रो जाता हूं माँ।
कितने भी दुःख दर्द हों,
चुपचाप तुम सह लेती हो माँ।
लगने पर मुझे चोट,
छुपके तुम रो लेती हो माँ।
मेरे खातिर कितनी ही,
 रातों को तुम जागी हो माँ।
अपने सभी ख्याबों को,
मेरे लिए त्यागी हो माँ।
आज भी छुट्टी जाने पर,
अच्छा खाना पकाती हो माँ।
घर आने की खुशी में मेरी,
रसोई को पकवानों से सजाती हो माँ।
मेरे बापस आने की चिंता में ,
खाना छोड़ देती हो माँ।
चुपके से बैग में मेरे,
सब कुछ भर देती हो माँ।
बापस जाने पर फिर मेरे,
क्यों छुपके अश्क भिगोती हो माँ।
एक सप्ताह बाद तक,
क्यों यादों में तुम रोती हो माँ।
तुम्हारे हाथ की रोटी ,
ट्रेन में बड़े चाव से खाता हूं माँ।
बड़े गर्व से तुम्हारे खाने की,
तारीफ़ सबको सुनाता हूं माँ।
मेरी इस ख़ामोशी के ,
अल्फ़ाज़ तुम हो माँ।
जो लफ्ज़ो में न हो बयां,
वो सुन्दर एहसास तुम हो माँ।


(  मान सिंह कश्यप रामपुर उ०प्र०)

Comments

Popular posts from this blog

QUIZ FOR NET EXAM PAPER 1

हाँ मैं भी किसान हूँ