कहानी स्टूडेंट की


ज़िन्दगी में भारी घमासान है,
दुविधा में फंसा ये "मान" है।
कहानी स्टूडेंट की लिखने पर ही ध्यान है,
स्टूडेंट की ज़िंदगी आज भी बेजान है।
न रात नींद में सो पाते,
न दिन को खाना खा पाते।
दिन गणित से शाम तर्क शक्ति तक पहुंच जाती है,
फेल हो जाने पर शादी की धमकी दी जाती है।
ज़िन्दगी की पूरी हंसी GK ने चुराई है,
इसे दिन रात पढ़ने में ही भलाई है।
Antonyms से लेकर,
synonyms तक Error ढूंढते हैं।
सच बताऊं तो खुद की शक्ल के लिए,
बेचारे Mirror ढूंढते हैं।
एक औरत भी दूसरे की तरफ,
इसारे से रिश्ता समझाती है।
ये कैसी Reasoning है भाई,
जो भूले रिश्ते भी याद दिलाती है।
कहीं नल से टंकी भरी जाती है,
तो कहीं दूध में पानी की मिलावट है।
 क्या कोई धारा के विपरीत जाता है,
या केवल यह दिखावट है।
क्या जरुरत थी अंग्रेंजो को भारत आने की,
मुहमद गौरी को पृथ्वी राज से भिड़ जाने की।
ऐसी भी क्या जरुरत थी,
चक्रवृद्धि ब्याज पर कर्ज लेने की।
एक ही ट्रैक पर पचास की स्पीड से,
दोनों ट्रेनों को आने की।
क्या जरुरत थी नौकरी में ,
जाति के बंटवारे की।
दो हज़ार किमी दूर जाकर ,
लटक कर परीक्षा दे आने की।
इतनी ही तैयारी में आँखे थक जातीं हैं,
नौकरी की आस में उम्र गुज़र जाती है।
कुछ तो ज़िन्दगी से हार कर ,
दे देते हैं अपनी जान।
आखर-आखर जोड़ कर ,
इतना ही लिख पाया मान।

(मान सिंह कश्यप रामपुर उ०प्र०)

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